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ख़ुफ़िया चीज़ें / कंस्तांतिन कवाफ़ी
Kavita Kosh से
किसी को यह बरामद करने की कोशिश मत करने दो
कि मैं कौन था
उस सब से जो मैंने कहा और किया ।
अड़चन थी वहाँ जिसने बनावट बदल दी
मेरे जीवन के लहज़े और करनी की ।
अक्सर वहाँ अटकाव था एक
रोक लेने को मुझे जब मैं बस बोलने बोलने को था ।
मेरी नितान्त अलक्षित करनी
मेरे ख़ुफ़िया लेखन से -
मैं समझा जाऊंगा केवल इन सबसे ।
लेकिन शायद यह इस जानलेवा छानबीन के लायक नहीं है
खोज लेने के लिए कि असल में कौन हूँ मैं ।
बाद में । एक ज़्यादा मँजे-खिले समाज में
बिल्कुल मेरे जैसा बना कोई और
दिखाई देगा ही फिरता छुट्टा ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया