भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खीचड़ो / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
सजा
जिकी भुगतै
लारै रैयोड़ा ‘आपरा’
मरणियै रा सपूत,
लोकाचारै।
गळती,
मरणियै री
कै इत्तो बूढ़ो हुय‘र
माचो क्यूं छोड्यो ?