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खुशी / शशि सहगल

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कव सवेरे
मुंडेर पर बैठी चिड़िया
चहक रही थी।
अपनी ही थी उसकी खुशी।

दर्द को छिपाने की
कहीं कोई कोशिश नहीं थी उसमें।