ख़ूब है प्यार का यह दस्तूर
पास भी हैं हम दूर ही दूर
परदा नहीं बेबात है यह
कोई तो है परदे में ज़रूर
आप लगा लें जो मुँह पे नक़ाब
क्या है भला दर्पन का क़सूर
और हों पीने को बेचैन
हम हैं नशे में प्यार के चूर
उड़ने लगा है गुलाब का रंग
एक निगाह तो कर लें, हुजूर!