खेड लै विच्च वेहड़े घुम्म घुम्म।
इस वेहड़े विच्च आला सोंहदा,
आले दे विच्च ताकी।
ताकी दे विच्च सेज विछावाँ,
नाल पीआ संग रातीं।
इस वेहड़े दे नौ दरवाजे़,
दसवाँ गुप्त रखाती।
ओस गली दी मैं सार ना जाणा,
जहाँ आवे पीआ जाती।
इस वेहड़े विच्च चरखा सोंहदा,
आले दे विच्च ताकी।
आपणे पीआ नूँ याद करेसाँ,
चरखे दे हर फेरे।
इस वेहड़े विच्च मकना<ref>मस्त</ref> हत्थी,
संगल नाल कहेड़े।
बुल्ले शाह फकीर साईं दा,
जागदिआँ को छेड़े।
खेड लै विच्च वेहड़े घुम्म घुम्म।
खेड लै विच्च वेहड़े घुम्म घुम्म।
शब्दार्थ
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