भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खेल-खेल में उड़ा / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
खेल-खेल में उड़ा,
पहुँचा-
फट गया-
आकाश में
रंगीन गुब्बारा खुशी का।
जिसने
उड़ाया
आकाश में पहुँचाया
वह हुआ
फिर
गरीब बाप का
गरीब बेटा-
दुःख दर्द का चहेटा।
रचनाकाल: १८-१२-१९७९