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ग़रीबी / रघुवीर सहाय
Kavita Kosh से
हम ग़रीबी हटाने चले
और उस समाज में जहाँ आज भी दरिद्र होना दीनता नहीं
भारतीयता की पहचान है,
दासता विरोध है दमन का प्रतिकार है
हम ग़रीबी हटाने चले
हम यानी ग़रीबों से नफ़रत हिकारत परहेज़ करनेवाले
हम गरीबी हटाते हैं तो ग़रीब का आत्म सम्मान लिया करते हैं
इसलिए मैं तो इस तरह ग़रीबी हटाने की नीति के विरूद्ध हूँ
क्योंकि वही तो कभी-कभी अपने सम्मान की अकेली
रचना रह जाती है ।