गाछ बिरिछ / अमरेन्द्र

पानी पियै नै अन्ने खाय,
तहियौ कोठी बनले जाय।
जौनें भेद बतैतै ई
बुनिया धरलोॅ खैतै ई।
जोॅड़ करै की? पत्ता की?
की दिल्ली? कलकत्ता की?
गाछ छिकै की जादू घोॅर?
सुड़की जाय सब तोॅरे तोॅर।

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