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गायक! रहने दो इन को / अज्ञेय

गायक! रहने दो इन को, ये कातर तार बिचारे
रुद्ध स्वर के ही खिंचाव से टूट रहे हैं सारे!
यदपि नहीं निज व्यथा-कथा रोते-रोते वे थकते-
मीड़ न दो! आशा का कम्पन तार नहीं सह सकते!

1936