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गीत कहाँ आवत बा कवना / स्वर्णकिरण
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बदल गइल बा दृश्य
कहाँ घंटा बाजत बा
लोग-बाग के बीच
सामने के मन्दिर में।
कवन निछत्तर
झासमान से टूटल हा
जे धरती थर-थर काँपत बडुए
बहुत देर से।
पंछी के उड़ान
भा कवनो जादू
अंजन लगा रहल बा
लोग-बाग के आँखिन में।
पर गीत कहाँ
आवत बा कवनो
होठन के ऊपर
जे तनिको राहत
मालूम पड़े
इहाँ भा उहाँ।