गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें / ईश्वर करुण
वेदना औ ' हर्ष की अभिव्यक्तियाँ गढ़ें
आओ मीत गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें
सिंह पूजने लगा है लोमड़ी की मांद को
दे रहे हैं भोज रोज राहु -केतु चांद को
एक गीत हम प्रणव के मंत्र सा ऐसा लिखें
जिससे लोग भेंट अब न काल की चढ़ें
आओ मीत गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें
रो रहा है क्रौञ्च किन्तु बाल्मीकि मौन है
किसके आंसुओं की आज चिंता करता कौन है
सर्जना के संग करें स्वत्व की गवेषणा
वर्जना से मुक्त नयी सूक्तियाँ गढ़ें
आओ मीत गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें
सूर्यमुखी बेहया के फूल से लजा रही
कृष्ण की मुरलिया छीन पूतना बजा रही
छल रही हमें है आस पास की मरीचिका
कुछ करो कि अब न तमोवृत्तियाँ बढ़ें
आओ मीत गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें
रक्त से विरक्त लोग भक्त बने काल के
कंधे पर झूल रहा विक्रम वैताल के
आज से ये बात अपने मन में चलो ठान लें
इस भुवन में सात्विकी प्रवृत्तियाँ बढ़ें
आओ मीत गीत की कुछ पंक्तियाँ पढ़ें