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गुज़रता वक़्त / माया एंजलो
Kavita Kosh से
तुम्हारी चमड़ी जैसे सुबह
मेरी जैसे शाम ।
एक प्रतीक है उस शुरूआत का
जिसका अन्त निश्चित है ।
दूसरी, उस अन्त का
जिसकी शुरूआत निश्चित है ।