भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुलाब / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
क्रायोवा में
गुलाब के बगीचे के सामने
मैं देख रही हूँ इस दुनिया को
एक सुर्ख़ गुलाब की तरह
मैं देख सकती हूँ उन सबको
जो मेरे भीतर हैं
जब भी देखती हूँ
गुलाब की ख़ूबसूरती की तरफ़
जिन्हें पाल रही हूँ मैं
अपने दिल की मिट्टी से।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणिमोहन मेहता’