गोखुला नगरिया में बाजेला बधइया
से जनमेलें कुँवर कन्हाई हो लाल।
तबला मृदंग बाजे नाचेला नटइया
से नीको मोर लागे सहनइया हो लाल।
यसोदा लुटावे रामा अनधन सोनवाँ
से नंद जी लुटावे धेनु गइया हो लाल।
सोना के थरियवा में आरती उतरतीं
से गावेले मंगल के गवइया हो लाल।
कहत महेन्दर चलु सखिया सलेहरी कि
मारि आईं आजुए से नजरिया हो लाल।