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गोरखनाथ भजन / पृथ्वीनारायण शाह
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बाबा गोरषनाथ सेवक सुखदाये, भतो मजहुं मन लाये
वावा चेलाचतुर मच्छिन्द्रनाथको अघवुध रुप बनाये ।
सिवके अंस सिवासनकाये, सिद्धिमाहा बनि आये ।१।बाबा गो०
सिधिनाद जटा कुविर, तुम्वी वगल दवाये ।
सम्थन भाग बघम्बर बैठे तिनिह लोक वरदाये ।२।बाबा गो०
मुद्रा कानमै अतिसोभिते, गेरुवा वस्त्र ।
गलै माल रुद्राक्षे सेली, तनमै भसम चढाये ।३।बाबा गो०
अगम कथा गोरखनाथकि, महिमा पार न पाये ।
नरभुपालसाहजिउको नन्दन, पृथ्वीनारायण गाये ।४।
वावा गोरखनाथ सेवक सुखदाये, भजहुं तो मन लाये ।।
'नेपाली भाषा र साहित्यको विकासमा शाह वंशको देन' बाट साभार