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घरों से सभी को निकलना पड़ेगा / अविनाश भारती

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घरों से सभी को निकलना पड़ेगा,
दरिंदो के फन को कुचलना पड़ेगा।

कठिन है डगर फिर भी चलना पड़ेगा,
वगरना हमें हाथ मलना पड़ेगा।

ज़माने से पहले ज़रूरी है खुद को,
बदलने से पहले बदलना पड़ेगा।

बता दो ऐ मालिक तेरे राज में भी,
हमें और कितना यूँ जलना पड़ेगा।

जुनूँ रक्खो ऐसा यूँ मंज़िल की ख़ातिर,
थकन भी कहे और चलना पड़ेगा।

'अविनाश' ग़र तुम हक़ीक़त कहोगे,
सलाखों से होकर निकलना पड़ेगा।