भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चलो सुनाओ नई कहानी / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
अगर सुनानी तो नानू बस
झट सुना दो एक कहानी
देर करोगे तो सच कहती
अभी बुलाती हूँ मैं नानी
बोली डोलू बहुत ‘बिजी’ हूँ
तुम तो नानू बिल्कुल खाली
कितने काम पड़े हैं मुझको
नहीं मैं ज्यादा रूकने वाली
टीवी अभी देखना मुझको
होम वर्क अभी करना है
कम्प्यूटर पर अभी खेलना
फोन सहेली को करना है
नानू इसीलिए कहती हूँ
झट कहानी मुझे सुनाओ
चली गई तो पछताओगे
मत इतना नानू इतराओ
नहीं आऊँगी नानू फिर मैं
चाकलेट भी अगर दिखाओ
शुरू करो अब शुरू करो न
चलो कहानी अभी सुनाओ।
सोचूँगी नानू हैं बुद्धु
अगर सुनाई नहीं कहानी
पुस्तक से ही पढ़ लूंगी मैं
एक नई से नई कहानी।