चाय पी जाती है
धीरे-धीरे
घूँट-घूँट,
जीवन की तरह
पल-पल
हर दिन
भरपूर!
अंत में
थोड़ी रह जाती है
कप के तले में,
जीवन में भी
रह ही जाता है
कुछ,
भूल जाने लायक!
चाय पी जाती है
धीरे-धीरे
घूँट-घूँट,
जीवन की तरह
पल-पल
हर दिन
भरपूर!
अंत में
थोड़ी रह जाती है
कप के तले में,
जीवन में भी
रह ही जाता है
कुछ,
भूल जाने लायक!