चालाकी से उसका सपना तोड़ दिया
मैंनें इन हाथों का कासा तोड़ दिया
पागल था मैं पीली रंगत वालों का
सरसों जब फूली तो पत्ता तोड़ दिया
पहले सारे रंग बिरंगे फूल रखे
फिर उसने गुलदान ही मेरा तोड़ दिया
दानिशमंदी या मेरी नादानी थी
अक्स बचाने में आईना तोड़ दिया
पलकों की कालीन बनाई जिसके लिए
उसके ही रस्ते में शीशा तोड़ दिया