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चाल भतूळा रेत रमां! : तीन / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
पड़ाल री ओट
खड़ी रेत.!
हेत रा फूटता
अलेखूं झरणां
लुक-लुक जोवै
टेढी निजरां
जीव री जड़ नै।
मन में भर उडार
चावै जावणो
नैण मिलावणो।
भतूळियो-
तेज रै परवाण
नीं बस में हरेक रै
झेलणो उण री झळ नै।
स्यात-
इण सारू रेत
दबावती हेत
चावै नीं उडणो
फटकारै सूं।
रेत री नीत
उडणो नीं
दुड़णो नीं
होय अेक
साथै साथै मुड़णो है.!