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चिट्ठी का भूगोल / तारादत्त निर्विरोध

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मिस्टर आलू गोल-मटोल

पढ़ने बैठे चिट्ठी खोल ।

देखे टेढ़े-मेढ़े अक्षर

नाक सिकोड़ा, पीछे हँसकर ।

बोले, आना इधऱ विटोल

देखो नक़्शा यह अनमोल ।

लगता है फिर पापाजी ने

मम्मी जी को, लिख भेजा है

चिट्ठी में सारा भूगोल ।