भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिट्ठी का भूगोल / तारादत्त निर्विरोध
Kavita Kosh से
मिस्टर आलू गोल-मटोल
पढ़ने बैठे चिट्ठी खोल ।
देखे टेढ़े-मेढ़े अक्षर
नाक सिकोड़ा, पीछे हँसकर ।
बोले, आना इधऱ विटोल
देखो नक़्शा यह अनमोल ।
लगता है फिर पापाजी ने
मम्मी जी को, लिख भेजा है
चिट्ठी में सारा भूगोल ।