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चितचोर न आया / दीनानाथ सुमित्र
Kavita Kosh से
इक चितचोर न आया मेरे जीवन में
हँसते गाते समय बिताया
हर पल मैंने खोया-पाया
हृदय हिलोर न आया मेरे जीवन में
इक चितचोर न आया मेरे जीवन में
खूब सुकूँ से रहा आजतक
दिल अबतक है किया न धकधक
दुख का लोर न आया मेरे जीवन में
इक चितचोर न आया मेरे जीवन में
मैंने सबका आँसू पोंछा
अपने दुख पर कभी न सोचा
दूजा मोड़ न आया मेरे जीवन में
इक चितचोर न आया मेरे जीवन में