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चूहे और प्लास्टिक / सुधीर सक्सेना

कोई रिश्ता नहीं है सीधा

चूहों और प्लास्टिक के बीच

मगर दोनों हैं कि

तेज़ी से बढ़ते चले जा रहे हैं

अहर्निश,

जैसेकि मूलधन नहीं,

बढ़ता है चक्रवृद्धि ब्याज,

दिन दूना, रात चौगुना

चूहा पिद्दी से बालिश्त

बालिश्त से छोटे सुअर के बराबर

प्लास्टिक आज थैली,

कल थैला, परसों बोरे के बराबर

फिर और विराट

प्लास्टिक और चूहे

दोनों ही जनसंख्या विस्फोट के लंबरदार,

एक धरती के बिल में निरापद

दूसरा धरती के लिए खोदता हुआ मौत की सुरंग,

शब्दकोश में कहीं 'रहम' नहीं

एक दिन

चूहों और प्लास्टिक के बोझ तले

दब जाएगी हमारी यह पृथ्वी ।