हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर आरसी।
थारी बेटी राज करेगी, हम पढ़ांगे फारसी।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर लोटा।
ऐसे घर में ब्याहवण आए, जड़ै पाणी का भी टोटा।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर बदाम।
एक सखि नै छोड़ के, मैं सब नै करूं प्रणाम।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर तोता।
जगदेव के ब्याहवण आया, आत्मा राम का पोता।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर केसर।
सासू मेरी पारवती, सोहरा परमेसर।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर खीरा।
थारी बेटी नै न्यूं राखूं, ज्यूं अंगूठी में हीरा।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर बाली।
दूजा छन्न मैं तद सुनाऊं, जब हाथ जोड़ै मेरी साली।।
छन्न पक्कियां छन्न पक्कियां, छन्न के ऊपर आला
बटुए से मुख आली साली मेरी, सोह्णा सा मेरा साला।।