प्रेम 
घुलता है 
द्रव्य की तरह 
पिघलता है 
राग-प्रार्थना में 
लिप्त जाती है आत्मा। 
मुँदी पलकों के भीतर 
प्रेम का ईश्वर 
जुड़े हाथों के भीतर 
हाथ जोड़े है 
प्रेम। 
प्रेम में 
बगैर संकेत के 
देह से परे हो जाती है देह। 
रेखा की तरह 
मिट जाती है देह 
और अनुभव होती है 
आत्मा की छुअन।