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जन्म-मरण के चक्र घोर का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग भैरवी-ताल कहरवा)
जन्म-मरण के चक्र घोरका तबतक कभी न होगा अन्त।
जबतक मानव नहीं भजेगा श्रद्धा-युत मन से भगवन्त॥
दुःख योनि भोगोंका मोह छुड़ाकर भजन बनाता संत।
पा जाता फिर इससे मानव सुखमय नित पर-धाम अनन्त॥