जब तक मानव नहीं उठेगा,
अपने हक़ को नहीं लड़ेगा,
होगा तब तक उसका अपमान,
कब तक मदद करे भगवान।
नहीं यहां कोई तरस है खाता,
खून के प्यासे भ्राता भ्राता,
गूँगे यहाँ पैरवी करते,
बहरा फैसला है सुनाता,
जानते हैं सब सच्चाई को,
फिर भी बनते हैं अनजान,
कब तक मदद करे भगवान।
दोषी को निर्दोष बताते,
सच्चाई को सदा छुपाते,
दिखा अमीरी की ताक़त को,
हम सबकी आवाज़ दबाते,
तनिक विरुद्ध जो इनके जायें,
कर देते जीवन शमशान,
कब तक मदद करे भगवान।
बहुत हुआ चल अब तो जागें,
रणभूमि से पीछे न भागें,
सदा साथ सत्य का दे तू,
चाहें गुरु ही हो तेरे आगे,
उठा हाथ में तीर- कमान,
कब तक मदद करे भगवान।