क्यो खिलते पुष्प कुंज
खिलती क्यों चाँदनी
क्यों सपने साथ लिए
आती है यामिनी
नहीं जब प्राण में जिया
तुम कहाँ प्रिया
रिमझिम की बूंदों से
निकली क्यों रागिनी
बदली में लुका छिपी
खेल रही दामिनी
मयूरा के साथ नची
मयूरी मन भावनी
तुम कहाँ प्रिया
क्षितिज के बालॉ मे
उषा का गुलाल
रंग गए पलाश से
धरती के गाल
ज़िंदगी तार की झंकार
इस वीणा के तार
तुम कहाँ हो प्रिया