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ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी / साक़िब लखनवी

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ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥

सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥