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ज़हर तो पिया हमने / उर्मिल सत्यभूषण

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ज़हर तो पिया हमने
पी के जी लिया हमने

नाम की सुरा पाली
घूँट भर पिया हमने

सब्र की सुई लेकर
ज़ख्म हर सिया हमने

नूर से लबालब था
जो भी पल जिया हमने

मान कर खु़दा उसको
खुदको खो दिया हमने

पाँव में धरा तेरे
फूल सा हिया हमने

बेखुदी व उर्मिल को
एक कर दिया हमने।