Last modified on 26 जनवरी 2020, at 22:58

ज़िंदगी के शुरूआती दस साल / ऋतु त्यागी

ज़िंदगी के शुरूआती दस सालों में
मैं दुनिया की वह लड़की थी
जो घर की छत के किनारे पर खड़े होकर
कर लेती थी संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा
छज्जे पर थोड़ा लटककर
नाप लेती थी संकरी गली की गहराई
टीवी की ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन पर
उभरते दृश्यों से निकाल लेती थी
रात भर की गुनगुनाती थपकी
गरमी की छुट्टियों की कविता सी दोपहर में
कहानी की किसी क़िताब में घुसकर
उसके पात्रों में ख़ुद को लेती थी तलाश
अपने छोटे से फ्रॉक में समेट लाती थी
अपने इरादों का संसार
अपने शुरुआती दस सालों में
मैं शायद दुनिया की सबसे साहसी
और बे-फ़िक्र लड़की थी।