ज़िन्दगी का भला करेगा क्या
वो जो ज़िन्दा नहीं मरेगा क्या
चाहे सावन हो चाहे भादो हो
कोई चिकना घड़ा भरेगा क्या
अपनी फुन्सी को जो कहे फोड़ा
अपने भाई का दुख हरेगा क्या
कौर जनमुख से छीनकर खाए
पेट उसका कभी भरेगा क्या
जिसका बारूद पर भरोसा है
वो भला शब्द से डरेगा क्या
जो समझता है सब उसी का है
धैर्य क्षण भर कहीं धरेगा क्या