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जाने अमृत होगा या कि गरल होगा / रंजना वर्मा

जाने अमृत होगा या कि गरल होगा
जाने कैसा आने वाला कल होगा

वर्तमान ही जीने का सम्बल होता
निर्णय समय करेगा वही अटल होगा

है प्रयास करना ही जब अपने वश में
व्यर्थ न सोचे उस का कैसा फल होगा

देखो स्वप्न सुनहरे कितने ही लेकिन
कर्म नहीं यदि किया स्वयं से छल होगा

चेतो मानव अब अपनी आँखें खोलो
वरना कहीं न अन्न ना निर्मल जल होगा

कल क्या होगा इसे भुला दें यदि हम तो
सच कहती हूँ जीना बहुत सरल होगा

नीलम का अम्बर सोने की भूमि बने
बहता झरना सपनों का अविरल होगा