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जिहाद / अम्बिका दत्त
Kavita Kosh से
सूरज, क्या कभी
किसी की मुट्ठी में बन्द हो सकता है ?
रोशनी, क्या कभी
किसी तिजोरी में कैद हो सकती है ?
यदि तुम कहते हो
अमुक सूरज-मुट्ठी में बन्द है
या फलाँ रोशनी-तिजोरी में कैद है
तो, मैं/
उस अमुक और फलाँ को
सूरज या रोशनी
मानने से इन्कार कर सकता हूं
हाँ आग !
आग जरूर पिछले कुछ दिनों से गायब है
कभी कभार नजर भी आती है, तो
जलते हुए रबड़ की गंध के साथ
तो आओ !
एक जिहाद शुरू करें
किसी सूरज को आजाद कराने
या किसी रोशनी की
जमानत करवाने के लिये नहीं
बल्कि
कोई भी दो चट्टानें टकराकर
आदिम तरीके से
मौलिक आग पैदा करने के लिये।