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जीवकान्तक कवितामे / गंग नहौन / निशाकर
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जीवकान्तक कवितामे
सन्हिआएल अछि
खोपड़ी पर बैसल चिड़ै
दुआरि-दुआरि छिछिआइत कुकुर
खाँड़ोक पानिमे हेलै महीस
आ मायक देह पर छड़पैत बेदरा।
जीवकान्तक कवितामे
लतरल अछि मधुबनी पेंटिंग
भोतिआएल अछि नारा
उधिआएल अछि कोशीक पानि
हुलकैत अछि वेदना।