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जीव / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
माली फुलवाड़ीकें तकैत छै
भौंरा फूलकें
मरद स्त्रीकें तकैत छै
माय बेदराकें
किसान फसिलकें तकैत छै
पशु चाराकें
चकोर चानकें तकैत छै
बेंग बरखाकें
कवि कविताकें तकैत छै
फनिगा आगिकें।
जहिया धरि रहतैक
सृष्टि
सुष्टिमे जीव
जीवमे
बाँचल रहतैक
जिजीविषा
ताका-हेरी करैत रहत जीव।