किसी भी कीमत पर
नहीं छोड़ूंगा गाँव
फूट-फूट कर रोए थे बाबा
गाँव छोड़ते वक्त।
सचमुच नहीं छोड़ा गाँव
एक पल के लिए भी
भले ही समझाइश के बाद
मणेरा से पहुँच गए मुंबई
मगर केवल तन से
बाबा का मन तो
आज भी
भटक रहा है
गांव की गुवाड़ में।
बीते पच्चीस वर्षों से
मुंबई में
मणेरा को ही
जी रहे है बाबा।