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जुगनू ही दीवाने निकले / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
जुगनू ही दीवाने निकले
अँधियारा झुठलाने निकले
ऊँचे लोग सयाने निकले
महलों में तहख़ाने निकले
वो तो सबकी ही ज़द में था
किसके ठीक निशाने निकले
आहों का अंदाज नया था
लेकिन ज़ख़्म पुराने निकले
जिनको पकड़ा हाथ समझकर
वो केवल दस्ताने निकले