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जुदाई गीत-1 / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
मैं ऎसे लिख रही हूँ
जैसे अनाथालय में बहुत साल बाद
अपने अन्धे बच्चों से मिल रही हूँ
तुम्हारे जाने के बाद
क्या क़द निकल आया है उनका
कितने छोटे पड़ गए हैं शब्द
जो पहनाने लाई हूँ