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जैसा गाना था गा न सका / हरिवंशराय बच्चन
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जैसा गाना था, गा न सका!
गाना था वह गायन अनुपम,
क्रंदन दुनिया का जाता थम,
अपने विक्षुब्ध हृदय को भी मैं अब तक शांत बना न सका!
जैसा गाना था, गा न सका!
जग की आहों को उर में भर
कर देना था, मुझको सस्वर,
निज आहों के आशय को भी मैं जगती को समझा न सका!
जैसा गाना था, गा न सका!
जन-दुख-सागर पर जाना था,
डुबकी ले थाह लगाना था,
निज आँसू की दो बूँदों में मैं कूल-किनारा पा न सका!
जैसा गाना था, गा न सका!