Last modified on 8 जनवरी 2012, at 01:58

जैसे अंगूर में बीज़ होता है / ज्यून तकामी

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ज्यून तकामी  » संग्रह: पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब
»  जैसे अंगूर में बीज़ होता है

अंगूर के दाने में जैसे
छिपा होता है बीज़
मेरे मन के भीतर भी वैसे
छिपी है खीज ।

खट्टे अंगूर से बनती है
तेज़ मादक शराब
ओ खीज मेरे दिल की
बन जा तू भी ख़ुशी की आब ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय