भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जैसे की जीवद्रव्य / महेश वर्मा
Kavita Kosh से
अपनी उँगलियों से मेरी हथेली पर लिखे वह शब्द
कोई नाम लिखो
फिर मुझे एक कूटशब्द लिखने दो अपने हाथ पर
या पीठ पर
कहीं भी
फिर एक चुम्बन लिखो एकाकी चाँद पर ताकि मैं
फिर से उसी जगह पर उन्हीं अक्षरों पर दोहराकर लिख
सकूँ अपना चुम्बन
आकाश कहाँ लिखा है ?
मेरे या कि तुम्हारे वक्ष पर ?
अब इस आकाश पर एक सूर्य लिखो
अनगिनत तारे, बादल और हवा लिखो
और मुझे आँकने दो अपने हिस्से की आकाशगंगा
फिर मेरे माथे पर अपना भाग्य लिखो
मैं तुम्हारे माथे पर पढ़ूँगा अपना भाग्य
लेकिन सबसे पहले मेरे लिए एक जीवन लिखो
शुरूआत में मेरी पहली कोशिका लिखो
और इसमें तीर से
महत्वपूर्ण हिस्सों को नामांकित करो : जैसे की जीवद्रव्य ।