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टाबर - 1 / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
टाबरां नै
नीं खेलणद्यै
मा-बाप
माटी में
माटी सूं
किंयां हुवै मोह
टाबरां नै
स्यात
इणी कारण
चल्याजै
थोड़साक बडा हुंवतांईं
टाबरिया परदेस।