Last modified on 9 नवम्बर 2017, at 12:22

टूट न जाए डर लगता है / भावना

टूट न जाए डर लगता है
सहमा-सहमा घर लगता है

ऐसी करवट बदली रूत ने
हर मौसम खंजर लगता है

चेहरे को देखूं भी क्या मैं
इंसा है,सुन्दर लगता है

कान न होते दीवारों के
तर्क ज़रा हटकर लगता है

भागम-भाग मची कुछ ऐसी
एक-सा घर -बाहर लगता है

रात-कहानी कहने लगती
जब छत पर बिस्तर लगता है