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डर / लीलाधर जगूड़ी
Kavita Kosh से
जिधर चिड़िया गा रही थी
उधर से भी हटा मैं कि वह उड़ न जाए
जिधर फूल खिल रहा था
उधर पीठ फेर दी कि मुरझा न जाए
इस तरह आया एक भूला हुआ गाना
एक झरा हुआ फूल मुझे याद
एक भरा हुआ फूल मुझे याद
वर्तमान को इस तरह अतीत बनाया पतझर ने ।