भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तंत्र / राहुल राजेश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अभिनव प्रयोगों से गुजरता लोकतंत्र
और संभावनाओं से भरा मंच

कंपनियाँ आश्वस्त

वे कभी घाटे में नहीं रहेंगी
जब तक उनके साथ है तंत्र
और इतना बड़ा गणतंत्र.