भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तजरबे कीजिए मज़ीद नये / राज़िक़ अंसारी
Kavita Kosh से
तजरबे कीजिए मज़ीद नये
हो भी सकते हैं ग़म मुफ़ीद नये
आंसुओ को ग़िज़ा मुहैया कर
ज़ख्म दुनिया से कुछ ख़रीद नये
क़ैस की सफ़ में हमको शामिल कर
इश्क़ हम हैं तेरे मुरीद नये
एंड पिक्चर यहां पे थोड़ी है
और अभी आएंगे यज़ीद नये
कौन रिश्ते बहाल करता है
राज़ इफ़शा करेगी ईद नये
रात होने दो फिर बताएंगे
ज़ख्म किस दर्जा हैं शदीद नये