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तबलेवाला / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
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वह दस जीभों से बोलता है
उसका बाँया चेहरा
संगत करते-करते उस्ताद का
आईना बन गया
और दाँया चेहरा
दर्शकों की तालियाँ बटोरता
आलाप उसके धैर्य की परीक्षा है
एक शिकायत तो सभी को
कि वह तबले को घर से मिलाकर भी ला सकता था
पर पता नहीं सदियों से
कौनसी हड़बड़ी है या आलस
उसने यह काम हमेशा मंच पर ही किया
और तबला मिलाने की क्रिया
को अपना आलाप बना लिया