हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
खड़ी झूल पै मटकै छोह् री बाहमण की
क्यूं तैं ऊंची पींघ चढ़ावै
क्यूं पड़ कै सै नाड़ तुड़ावै
योह् लरज-लरज के जावै डाल्ही जामण की
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की
खड़ी झूल पै मटकै छोह् री बाहमण की
क्यूं तैं ऊंची पींघ चढ़ावै
क्यूं पड़ कै सै नाड़ तुड़ावै
योह् लरज-लरज के जावै डाल्ही जामण की
तीजां का त्योहार रितु सै सामण की