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तुम / अंशु हर्ष
Kavita Kosh से
तुम्हें किस रिश्ते में बाँधू मैं
हर कदम पर एक
अलग अंदाज में दिखाई देते हो
तुम्हारे दिल में जो दर्द है
उससे परेशान तुम
कभी मुझे एक नन्हें से बच्चे नज़र आते हो
और में तुमसे अपने आपको बहुत बड़ा समझ
तुम्हारा सिर अपनी गोद में रख उसे
सहलाना चाहती हूँ
एक माँ की तरह
कभी तुम्हारी मोहब्बत भरी नजरों में
एक प्रेमिका बन में खुद को तलाशती हूँ
जब तुम बेबस और परेशान से बेचैन
अपने लडखडाते कदमों से चले जाते हो
एक दोस्त बन तुम्हारा हाथ थामना चाहती हूँ
और जब तुम अपने जीवन का अनुभव कहकर
राह दिखाते हो
तो यक़ीन मानो
मैं तुम्हारी बिटिया बन जाना चाहती हूँ ...